जब मालती महकती है मेरे घर…

जब मालती महकती है मेरे घर...

काली-काली घटाएं जब घेर लेती हैं आकाश और रह-रह कर बादलों के राग से धरती थर्रा उठाती है मालती महकती है मेरे घर. . .

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